नदी के उफान में तुम्हारा साथ....
तुम बहुत खुशकिस्मत हो
तुम्हे वक्त में ठहरना नहीं आता
तुम्हे आता है पुरानी चीजों को घर के कोनों में फेंक देना
तुम बहुत खुशकिस्मत हो
तुम्हारी आग मेरी तरह जंगल की आग नहीं है
तुम कभी ठहरे भी तो इठला सकते हो
तुम्हे डूबना पसंद है
मरना पसंद है
तुम बहुत खुशकिस्मत हो
तुम्हारी गहराइयाँ मेरी तरह जख्मी नहीं है
तुम्हे इश्क़ करना नहीं आता
तुम्हारे आज में बीता हुआ कुछ भी बाकी नहीं है
तुम बहुत खुशकिस्मत हो
तुम जब उगते सूरज को देखते हो
या बारिश को महसूस करते हो
या झील की किसी नाव में बैठते हो
तो सब धूमिल हो जाता है
तुम कितने खुशकिस्मत हो
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